कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष
महत्व है। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है
नैनीताल का मुख्य आकर्षण यहाँ की झील है। स्कंद
पुराण में इसे ऋषि सरोवर कहा
गया है। कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को
नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा
खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील
के बारे मे कहा जाता है यहां डुबकी लगाने से उतना
ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी से मिलता है। यह झील 64
शक्ति पीठों में से एक है।
यहाँ की सात चोटियों नैनीताल की शोभा बढ़ाने
में विशेष, महत्व
रखती हैं:
चीनीपीक
(नैनापीक) सात
चोटियों में चीनीपीक (नैना पीक या चाइना पीक) 2611
मीटर की ऊँचाई वाली पर्वत चोटी है। नैनीताल
से लगभग साढ़े पाँच किलोमीटर पर यह चोटी पड़ती है।
यहां एक ओर बर्फ़ से ढ़का हिमालय दिखाई
देता है और दूसरी ओर नैनीताल नगर का पूरा भव्य दृश्य देखा जा सकता है।
इस चोटी पर चार कमरे का लकड़ी का एक केबिन है जिसमें एक रेस्तरा भी है।
किलवरी 2528
मीटर की ऊँचाई पर दूसरी पर्वत - चोटी है जिसे किलवरी
कहते हैं। यह पिकनिक मनाने का सुन्दर स्थान है। यहाँ पर वन विभाग का एक
विश्रामगृह भी है। जिसमें पहुत से प्रकृति प्रेमी रात्रि - निवास करते हैं।
इसका आरक्षण डी. एफ. ओ. नैनीताल के द्वारा होता है।
लड़ियाकाँटा 2881
मीटर की ऊँचाई पर यह पर्वत श्रेणी है जो नैनीताल
से लगभग साढ़े पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से नैनीताल के
ताल की झाँकी अत्यन्त सुन्दर दिखाई देती है।
देवपाटा
और केमल्सबौग यह दोनों चोटियाँ साथ - साथ हैं। जिनकी ऊँचाई
क्रमशः 2435 मीटर और 2333 मीटर है। इस चोटी से भी नैनीताल और उसके समीप
वाले इलाके के दृश्य अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।
डेरोथीसीट
वास्तव में यह अयाँरपाटा पहाड़ी है परन्तु एक अंग्रेज
केलेट ने अपनी पत्नी डेरोथी, जो हवाई जहाज की यात्रा करती
हुई मर गई थी, की
याद में इस चोटी पर कब्र बनाई, उसकी कब्र - 'डारोथीसीट' के
नाम पर इस पर्वत चोटी का नाम पड़ गया। नैनीताल से
चार किलोमीटर की दूरी पर 2290 मीटर
की ऊँचाई पर यह चोटी है।
स्नोव्यू
और हनी - बनी नैनीताल से केवन ढ़ाई किलोमीटर और 2270
मीटर की ऊँचाई पर हवाई पर्वत - चोटी है। 'शेर
का डाण्डा' पहाड़ पर यह चोटी
स्थित है, जहाँ से हिमालय का भव्य दृश्य साफ - साफ दिखाई देता है। इसी तरह
स्नोव्यू से लगी हुई दूसरी चोटी हनी - बनी है, जिसकी
ऊँचाई 2179 मीटर है, यहाँ
से भी हिमालय के सुन्दर दृश्य दिखाई देते हैं।
नैनीताल की खोज होने से पहले भीमताल को ही लोग महत्व
देते थे। वैसे यहाँ पर भीमेश्वर
महादेव का मन्दिर है।
पटुवा डाँगर पटुवा डाँगर पहाड़ों के मध्य
एक सुन्दर नगर है यहाँ प्रदेश का 'वैक्सीन' का
सबसे बड़ा संस्थान है, यहाँ भी देश-विदेश के पर्यटक आते रहते
हैं।
अनासक्ति आश्रम इसे गांधी आश्रम भी कहा जाता
है। इस आश्रम का निमार्ण महात्मा गांधी को श्रद्धांजली देने के उद्देश्य से किया
गया था। कौसानी की सुंदरता और शांति ने गांधी जी को बहुत प्रभावित किया था। यहीं
पर उन्होंने अनासक्ति योग
नामक लेख लिखा था।
लक्ष्मी आश्रम यह आश्रम सरला आश्रम के नाम
से भी प्रसिद्ध है। सरलाबेन ने 1964 में इस आश्रम की स्थापना की थी।
सरलाबेल का असली नाम कैथरीन हिलमेन था और बाद में वे गांधी जी की अनुयायी बन गई
थी।
पंत संग्रहालय हिन्दी
के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी में हुआ था।
नैनीताल में हनुमानगढ़ी सैलानी, पर्यटकों
और धार्मिक यात्रियों के लिए विशेष, आकर्षण का केन्द्र हैै। यहाँ से पहाड़ की कई चोटियों के और
मैदानी क्षेत्रों के सुन्हर दृश्य दिखाई देते हैं। हनुमानगढ़ी के पास ही एक बड़ी
वेद्यशाला है। इस वेद्यशाला में नक्षरों का अध्ययन कियी जाता है। राष्ट्र की यह
अत्यन्त उपयोगी संस्था है।
मुक्तेश्वर यह
मंदिर 'मुक्तेश्वर
मंदिर' के
नाम से
प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती
हैं।
द्रोणा
सागर
कोट ब्रह्मरी
तेहलीहाट
(21 किमी)
तेहलीहाट का कोट ब्रह्मरी मंदिर देवी दुर्गा के भ्रमर अवतार को समर्पित है जो उन्होंने
अरुण नामक दैत्य के वध के लिए लिया था।
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