रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। भगवान शिव के नाम
पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। संगम स्थल के समीप चामुंडा देवी व रुद्रनाथ
मंदिर दर्शनीय है। पुराणों में इस तीर्थ का वर्णन विस्तार से आया है। यहीं पर ब्रह्माजी की आज्ञा से देवर्षि नारद ने
हज़ारों वर्षों की तपस्या के पश्चात
भगवान शंकर का साक्षात्कार कर सांगोपांग गांधर्व शास्त्र प्राप्त किया था। यहीं पर भगवान रुद्र ने श्री
नारदजी को `महती' नाम की वीणा भी प्रदान की। संगम से कुछ ऊपर भगवान शंकर का
`रुद्रेश्वर' नामक लिंग है।
इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2,439 वर्ग किमी है। रुद्रप्रयाग क्स्बा में इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय
स्थित है। यह एक प्रयाग तथा एक जिला भी जो उत्तर में उत्तरकाशी जिले, पूर्व में चमोली जिले, दक्षिण में पौड़ी जिले और दक्षिण में टिहरी जिले से घिरा हुआ है।
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