प्राचीन अल्मोड़ा कस्बा, अपनी स्थापना से पहले कत्यूरी राजा बैचल्देओ के अधीन था। उस राजा ने अपनी धरती का एक बड़ा भाग एक गुजराती ब्राह्मण श्री चांद तिवारी को दान दे दिया। बाद में जब बारामण्डल चांद साम्राज्य का गठन हुआ, तब कल्याण चंद द्वारा 1568 में अल्मोड़ा कस्बे की स्थापना इस केन्द्रीय स्थान पर की गई। कल्याण चंद द्वारा।तथ्य वांछित चंद राजाओं के समय मे इसे राजपुर कहा जाता था। 'राजपुर' नाम का बहुत सी प्राचीन ताँबे की प्लेटों पर भी उल्लेख मिला है।
60 के दशक में बागेश्वर
जिले और चम्पावत
जिले नहीं
बनें थे और अल्मोड़ा जिले के ही भाग थे।
अल्मोड़ा कस्बा पहाड़ पर घोड़े की काठीनुमा
आकार के रिज पर बसा हुआ है जहाँ पर अभी छावनी है, वह स्थान पहले लालमंडी नाम
से जाना जाता था। वर्तमान में जहाँ पर कलक्टरी स्थित है, वहाँ
पर चंद राजाओं का 'मल्ला
महल' स्थित
था। वर्तमान
में जहाँ पर जिला अस्पताल है,
वहाँ पर चंद राजाओं का 'तल्ला महल' हुआ करता था। सिमलखेत
नामक एक ग्राम अल्मोड़ा और चमोली की सीमा पर स्थित है। इस ग्राम के लोग कुमाँऊनी और गढ़वाली दोनो
भाषाएँ बोल सकते हैं। पहाड़ की चोटी पर एक मंदिर है, भैरव गढ़ी। गोरी
नदी अल्मोड़ा
जिले से होकर बहती है।
अल्मोड़ा में एक प्रसिद्ध नृत्य अकादमी है, डांसीउस
- जहाँ बहुत से भारतीय
और फ्रांसीसी नर्तकों को प्रक्षिक्षण दिया गया था। इसकी स्थापना उदय शंकर
द्वारा 1938 में की गई थी। अल्मोड़ा नृत्य अकादमी को कस्बे
के बाहर रानीधर
नामक स्थान पर गृहीत किया गया। इस स्थान पर से हिमालय और पूरे अल्मोड़ा
कस्बे का शानदार दृश्य दिखाई देता है।
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