कलसी
देहरादून जिले में समुद्र स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह जौनसार-बावर
आदिवासीक्षेत्र का प्रवेश द्वार माना जाता है ये यमुना और टोंस केसंगम पर
स्थित है। यह वो
स्मारक है
जिसपे मौर्य राजा, अशोका के 14 वे फरमान 253 ई.पू. में लिखा गया था। जिसमे अशोका की बतायीं गईं सुधारों और सलाह का संकलन है
जिसको प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। इस संरचना की ऊंचाई 10 फुट और चौड़ाई 8 फुट है।
यहा
आसन
बैराजभी हैं जो की विभिन्न लुप्तप्राय प्रवासी पक्षियों की आरामगह केरूप में जाना
जाता है। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ ने यहाँ के पक्षियों को
दुर्लभ प्रजाति घोषित किया है।
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