उत्तराखंड
में स्थानीय सरयू और गोमती नदी के संगम पर स्थित एक तीर्थ है।
यहाँ बागेश्वर नाथ की प्राचीन मूर्ति है जिसे स्थानीय
जनता बाघनाथ के नाम
से जानती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है।
कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने
अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन 1920 ई. में
की. नीलेश्वहर और भीलेश्वेर की पहाडि़यों पर चंडिका मंदिर और शिव मंदिर भी हैं।
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