Thursday 29 September 2016

श्री इन्द्रमणि बडोनी

श्री इन्द्रमणि बडोनी का जन्म 24 दिसम्बर 1925 को टिहरी गढवाल के जखोली ब्लाक के अखोडी ग्राम में हुआ। उनके पिता का नाम श्री सुरेशानंद बडोनी था। अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष में उतरने के साथ ही उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। लेकिन आजादी के बाद कामरेड पीसी जोशी के संपर्क में आने के बाद वह पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हुए। उनकी मुख्य चिंता इसी बात पर रहती थी कि पहाडों का विकास कैसे हो। अपने सिद्वांतों पर दृढ रहने वाले इन्द्रमणि बडोनी का जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने वाले दलों से मोहभंग हो गया। इसलिए वह चुनाव भी  निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में लडे।
उत्तर प्रदेश में बनारसी दास गुप्त के मुख्यमंत्रित्व काल में पर्वतीय विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे इन्द्रमणि बडोनी ने 1967, 1974, 1977  में देवप्रयाग विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव जी कर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के लिए वह 1980 में उत्तराखण्ड क्रांति दल में शामिल हुए और उन्हें पार्टी का संरक्षक बना दिया गया। 1989 से 1993 तक उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य प्राप्ति के लिए पर्वतीय अंचलों में जनसभाये करके लोगों को अलग राज्य की लडाई लडने के लिए तैयार किया। 1994 में व्यापक आंदोलन शुरु होने के बाद वह पूरी तरह से आंदोलन के प्रचार-प्रसार में लग गये। स्कूल कालेजों में आरक्षण व पंचायती सीमाओं के पुनर्निधारण से नाराज इन्द्रमणि बडोनी ने 2 अगस्त 1994 को पौड़ी कलेक्ट्रेट कार्यालय पर आमरण अनशन शुरु कर दिया जो उत्तराखण्ड आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। उनके इसी आमरण अनशन ने आरक्षण के विरोध को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में बदल दिया। उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के माध्यम से जन आंदोलन खडा हो गया। अलग राज्य प्राप्ति की मांग को लेकर २ अक्टूबर 1994 को गॉधी जयंती के दिन दिल्ली को कूच कर रहे उत्तराखण्डियों पर तत्कालीन उ०प्र० सरकार ने गोलियां चलाई। बडोनी जी के नेतृत्व में लगातार 7 वर्ष तक आंदोलन चला और अंत में उत्तराखण्ड राज्य के रुप में एक भू-भाग उत्तर प्रदेश से अलग हुआ जो वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य है। राज्य आंदोलन में लगातार सक्रिय रहने से उनका स्वास्थ्य गिरता गया। 18 अगस्त 1999 को उत्तराखण्ड के सपूत श्री इन्द्रमणि बडोनी जी का निधन हो गया

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